कभी दहशतगर्दों की गोलियों से गूंज उठा था ये 300 साल पुराना मंदिर, अब शुरू हो रहा इसका जीर्णोद्धार - Newztezz

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Saturday, September 19, 2020

कभी दहशतगर्दों की गोलियों से गूंज उठा था ये 300 साल पुराना मंदिर, अब शुरू हो रहा इसका जीर्णोद्धार


कश्मीरी पंडित.. शुरू से ही सियासी मसलों के ईर्द-गिर्द घूमने वाला यह विवाद मुद्दतों पुराना है। कभी सियासत की चौहद्दी में जंग लड़ने वाला यह मसला तो कभी घाटी में आतंकियों के खौफ से पलायन को मजबूर होने वाले कश्मीरी पंडितो के सुरत-ए-हाल आज भी जस के तस बने हुए हैं। राजनीति विमर्श का केंद्र बनने के इतर आज तक इनके  हाथ कुछ नहीं लगा। अब इसका जिम्मेदार कौन है। खैर, यह एक जुदा मसला है, लेकिन इससे मसले की गहनता में जाने से पहले हम आपको बताते चले जम्मू-कश्मीर के झेलम तट पर आज से 300 वर्ष पुराने रघुनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार होने जा रहा है।

बताया जाता है कि यह मंदिर कश्मीरी पंडितों के लिए शुरू से ही आस्था का केंद रहा, लेकिन 1990 के दशक में जब घाटी में आतंकियों ने अपने पैर पसारने शुरू किए तो भला यह मंदिर उनकी बुरी नजरों कैसे अछूता रह पाता, लिहाजा उन्होंने यहां पर अपना डेरा बनाना शुरू कर दिया। नतीजा यह हुआ कि आसपास के सारे कश्मीरी पंडित यहां से रूखसत को मजबूर हो गए। घाटी में उन दिनों में आतंक का कहर अपने शबाब पर पहुंच चुका था। बेतहाशा बहती खून की नदियों से घाटी की गलियां रक्तरंजित हो चुकी थी। तभी से यह मंदिर वीरान पड़ा है। क्षत विक्षत आलम में पड़ा यह मंदिर अब अपनी आखिरी सांसे गिनने में मसरूफ हो कि इससे पहले ही घाटी के पर्यटन विभाग की इनायत भरी निगाहें इस मंदिर पर गई है.. अब यह फैसला लिया गया है कि इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया जाएगा।

पिछले 30 सालों से वीरान पड़े इस मंदिर के लिए भला इससे बड़ी सुकून की बात और क्या हो सकती है, जो मंदिर पहले कभी आतंकियों का ठिकाना बन चुका था, वह अब फिर से भगवान के भजन कीर्तन से गूंज उठेगा। यह खबर हर उस कश्मीरी के लिए राहत की बयार में सराबोर होने जैसा है, जिनका इससे पुराना नाता रहा है। वहीं, अगर इस मंदिर को अतीत के आईने से देखे तो 1860 में डोगरा महाराजा रणबीर सिंह ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराते हुए इस भव्य मंदिर का रूप दे दिया था। उधर, पर्यटन विभाग के आलाधिकारों ने इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए खाती बही पेश करते हुए कहा कि इसके रनोवेशन में पूरा 43 लाख रूपए से अधिक का खर्चा आएगा। मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य मुकम्मल होने के बाद इसे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। फिलहाल तो यह खबर सुन कर हर कश्मीरी पंडितों के खुशी का ठिकाना नहीं है।

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