कोरोना वायरस वैक्सीन के लिए लगभग 5 लाख शार्क मारे जा सकते हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों ने यह चेतावनी जारी की है। मूल रूप से, शार्क के जिगर में तेल होता है जो एक टीका सामग्री के रूप में उपयोग किया जाता है।
कोरोना वायरस की कई वैक्सीन सामग्री में शार्क के जिगर के तेल का उल्लेख किया गया है। इसका उपयोग वैक्सीन के प्रभाव को बढ़ाने के लिए किया जाता है। अमेरिका के कैलिफोर्निया शार्क मित्र संघ का कहना है कि वैक्सीन के लिए 5 मिलियन शार्क मारे जा सकते हैं।
शार्क के यकृत में स्क्वालेन नामक पदार्थ पाया जाता है। यह एक तरह का प्राकृतिक तेल है। इसका उपयोग टीकों के उत्पादन में किया जाता है। दुनिया में लगभग 30 कोरोना वैक्सीन हैं, जिनमें से वर्तमान में मानव परीक्षण चल रहे हैं।
शार्क एलियास का कहना है कि अगर दुनिया भर के लोगों को कोरोना वैक्सीन की एक खुराक की जरूरत होती है तो 2.5 मिलियन शार्क मारे जा सकते हैं, लेकिन अगर दो खुराक की जरूरत होती है तो 5 मिलियन शार्क को मारना होगा। आपको बता दें कि ट्रायल के दौरान ज्यादातर कोरोना वैक्सीन की दो खुराक स्वयंसेवकों को दी जा रही हैं।
शार्क मित्र राष्ट्रों के संस्थापक स्टेफ़नी ब्रैंडेल कहते हैं कि किसी भी चीज़ के लिए किसी जानवर को मारना टिकाऊ नहीं होगा, खासकर जब जीव बड़े पैमाने पर प्रजनन नहीं करता है। हालांकि, उसने कहा कि वह वैक्सीन तैयार करने की प्रक्रिया को धीमा नहीं करना चाहती, बल्कि जानवरों के बिना प्राप्त स्क्वैलिन के लिए भी परीक्षण करना चाहिए।
No comments:
Post a Comment