लगता है उत्तर प्रदेश के रहनुमा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महज एक मुख्यमंत्री अपितु बदलावों की बयार हैं, चूंकि जब से वे राजगद्दी पर विराजमान हुए हैं, तब से सूबे में बदलाव की बयार बह रही है। कभी इमारतों के नाम तो कभी शहरों के नाम तो कभी प्रमुख स्थलों के नाम.. हर जगह नामकरण का दबदबा नजर आ रहा है। फैजाबाद से अयोध्या.. इलाहाबाद से प्रयागराज तक के बनने की कहानी तो हम और आप जानते ही हैं, लेकिन अब खबर है कि मुगल म्यूजियम भी शिवाजी म्यूजियम में तब्दील होने जा रहा है। यह निर्माणाधीन म्यूजियम अब छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर स्थापित होगा।
अब सभी के जेहन में महज यही सवाल तैर रहा है कि आखिर इन बदलावों के पीछे का ध्येय क्या है। आखिर क्यों सूबे की सरकार हर सरकारी स्थलों सहित प्रचाीन इमारतों का नाम बदलने पर अमादा है, तो इसके पीछे का तर्क यह दिया जा रहा है कि यह सब गुलाम भारत का प्रतीक है। यह प्रतीक उन गुलामी की बेड़ियों का। यह प्रतीक है, गुलामी मानसिकता का, और अब समय आ चुका है कि इन सबसे छुटकारा पाया जा सके। अब मुख्यमंत्री ने यह बी़ड़ा उठा लिया है कि इन गुलामी के प्रतीकों के नाम को बदल दिया जाए।
मुख्यमंत्री के मुताबिक, अब हम राष्ट्रगौरव के प्रतीकों को बढ़ावा देंगे न की गुलामी के प्रतीकों को। हमारे नायक मुगल नहीं बल्कि हमारे खुद के लोग हैं। हम अपने प्राचीन स्थलों का नाम अपने नायकों के नाम पर रखेंगे न कि मुगलों के नाम पर। सीएम योगी ने कहा कि हमारे नायक छत्रपति शिवाजी महराज हैं, लेकिन भारत में अभी 700 से भी अधिक ऐसे स्थान हैं, जिनके नाम मुगलों के नाम पर हैं। अकबर के नाम पर 291 गांव और अन्य कस्बों के नाम हैं। भारत में अकबर के नाम पर सर्वाधिक स्थलों के नाम हैं। औंरगजेब के नाम पर 177, और जहांगीर के नाम पर 141, शाहजहां के नाम पर 63, बाबर के नाम पर 41, हुमायूं के नाम पर 11 स्थलों के नाम पर है।
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