पटना। राजनीति में पढ़े—लिखे नेताओं में ज्यादा संभावना नजर आती है। लेकिन एक सच यह भी है कि पढ़े—लिखे लोगों का क्षेत्र में वर्चस्व कम होता है, इसलिए चुनाव अक्सर दबंग व अपराधी किस्म के लोग ही जीतते हैं। शायद यही कारण है कि चुनाव में उतरने से पहले क्षेत्र में वर्चस्व का होना जरूरी है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यहां के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने वीआरएस ले लिया है। अचानक वीआरएस लेने के पीछे कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा गुप्तेश्वर पांडेय विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमा सकते हैं। सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने जिस तरह से लगातार महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस को कठघरे में खड़ा कर रहे थे, उससे यह कयास लगाए जाने लगे थे कि वह राजनीति में पदार्पण कर सकते हैं।
गौरतलब है कि 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडेय को जनवरी 2019 में बिहार का डीजीपी बनाया गया था। बतौर डीजीपी उनका कार्यकाल 28 फरवरी 2021 पूरा होना था। लेकिन इससे पहले उन्होंने कल यानी मंगलवार को कार्यकाल पूरा होने से पहले रिटायरमेंट लेने का फैसला लिया और उनके इस फैसले को प्रदेश सरकार ने मंजूर भी कर लिया है। उनके वीआरएस लेने के बाद उनके राजनीति में आने की कयासबाजी काफी तेज हो गई है। माना जा रहा है कि गुप्तेश्वर पांडेय बिहार विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। चर्चा है कि वह एनडीए की ओर से उम्मीदवार घोषित किए जा सकते हैं।
बताते चलें कि गुप्तेश्वर पांडे का जन्म वर्ष 1961 में बक्सर जिले के गेरुआबंध गांव में हुआ था। इंटर पास करने के बाद, उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। यही से उनका यूपीएससी में चयन हुआ और वर्ष 1987 में आईपीएस अधिकारी बन गए। ज्ञात हो कि डीजीपी के तौर पर गुप्तेश्वर पांडेय का कार्यकाल अभी 5 महीने का बचा हुआ है। पांडेय संयुक्त बिहार में कई जिलों के एसपी और रेंज डीआईजी के अलावा मुजफ्फरपुर के जोनल आईजी भी रह चुके हैं। इतना ही नहीं उन्होंने एडीजी मुख्यालय और डीजी बीएमपी का भी पद संभाला था।
No comments:
Post a Comment