हिन्दू धर्म शास्त्र के अनुसार इस बार शारदीय नवरात्र की शुरुआत 17 अक्टूबर से ही रही है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू रहे नवरात्रों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। यह नौ दिन माँ दुर्गा को समर्पित होते हैं। इन दिनों से भक्त माता की चौकी सजाते हैं,व्रत रखते हैं, उनकी घरों और मन्दिरों में विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। हर ओर मां के जयकारे ही सुनाई पड़ते हैं। पूरा वातावरण भक्तिमय नजर आता है,लेकिन इस बार नवरात्र पर के विशेष संयोग बन रहा है। यह संयोग पूरे 58 साल बाद बन रहा है।
इस बार नवरात्र पर पूरे 58 साल बाद शनि स्वराशि मकर और गुरु स्वराशि धनु में विराजमान रहेंगे। साथ ही घट स्थापना का भी विशेष संयोग बन रहा है। इस वर्ष घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 17 अक्टूबर यानी कि शनिवार की सुबह 6 बजकर 10 मिनट से सुबह 11 बजकर 02 मिनट से 11 बजकर 49 मिनट के बीच इसे कर सकते हैं। नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। नवरात्र के पहले दिन ही घट स्थापना की जाती है। माता को जो लोग अखंड ज्योति जलाते हैं, वह माता के पहले दिन को पूजा से ही शुरू करते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किन्ही कारण वश निर्धरित मुहूर्त पर घट स्थापना नहीं कर पाते हैं तो किसी भी समय अगरवास्तु अनुसार घर का पूजा स्थल उत्तर-पूर्व में है तो इसी दिशा में घटस्थापना करें। एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं और कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करें, अखंड ज्योति जलाएं और घटस्थापना कर लें।
इस बार नवरात्र पर राजयोग, दिव्य पुष्कर योग, अमृत योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और सिद्धि योग का भी संयोग बन रहाजो नवरात्र को विशेष बना रहा है । नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा करते समय माता को लाल वस्त्र, फल और फूल अर्पित करें इससे माता प्रसन्न होंगी और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगी।
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