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Tuesday, October 6, 2020

ट्रंप की बीमारी के अर्थ


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कोरोनाग्रस्त होना किस बात का सूचक है ? कई बातों का है। पहली, दुनिया का कोई आदमी कितना ही शक्तिशाली हो, बीमारी और मौत के आगे वह निढाल है। ट्रंप दुनिया के सबसे शक्तिशाली आदमी हैं, क्योंकि वे दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र के पति हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के पास जितनी संवैधानिक शक्तियां होती हैं, उतनी किसी भी राष्ट्र के प्रधानमंत्री को नहीं होतीं। कोरोना ने यह सिद्ध कर दिया है कि वह किसी राष्ट्रपति और सफाई कर्मचारी में कोई भेद नहीं करता। दूसरा, ट्रंप के कोरोना ने उनके बड़बोलेपन को पंचर कर दिया है। कोरोना कुछ नहीं है, उससे क्यों डरें, अमेरिकी स्वास्थ्य-सेवाएं सारी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं- इस तरह की लंतरानियां करनेवाले खुद ट्रंप को कोरोना ने पटकनी मार दी। ट्रंप के अहंकार को यह स्वीकार नहीं था कि वे मुखपट्टी लगाएं। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी जो बाइडन की मजाक उड़ाई थी कि सार्वजनिक टीवी बहस में बाइडन ने मुंह पर पट्टी लगाकर बात की थी। कोरोना ने सिद्ध किया है कि नेताओं को, वे चाहे कितने ही बड़े हों, अपना आचरण ऐसा रखना चाहिए कि आम जनता उनका अनुकरण कर सके।


भारत से 4-5 गुना छोटे अमेरिका में 2 लाख 10 हजार लोगों की मौत का एक बड़ा कारण यही लापरवाही है। तीसरी, अमेरिका जैसे समृद्ध और उन्नत देश में लोगों के आत्म-विश्वास का स्तर जरुरत से ज्यादा ऊंचा है। इसीलिए हम देखते हैं कि समुद्र-तटों, हवाई जहाजों, मेट्रो रेलों और सड़कों पर भी लोग मुखपट्टी के बिना घूमते हैं, एक-दूसरे से शारीरिक दूरी नहीं रखते और होटलों में खाना खाते हैं। वे अपने नेताओं का अनुकरण करते हैं। चौथी बात, जो ट्रंप के बारे में ही है। उन्हें बुधवार को हल्का बुखार था और श्वास लेने में दिक्कत थी। इसके बावजूद वे बुधवार और गुरुवार को चुनाव-प्रचार करते रहे। दो दिन बाद शुक्रवार को वे अस्पताल में भर्ती हुए। उनके बारे में डाक्टरों और उनके सेवकों की रिपोर्ट आपस में मेल नहीं खातीं। फिर भी, डाक्टरों की सलाह के विरुद्ध वे चुनाव के मैदान में आज से ही डट जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। पांचवीं बात तो बिल्कुल पक्की दिखाई पड़ रही है। वह है- राष्ट्रपति के चुनाव में उनकी हार। इस हार पर उनके कोरोना ने पक्की मुहर लगा दी है। इस वक्त जो बाइडन उनसे 13 अंकों से आगे हैं। यदि ट्रंप कुछ दिन अस्पताल में ज्यादा रह गए तो वे ज्यादा पिछड़ सकते हैं। अमेरिका में यह जोड़-भाग भी शुरु हो गया है कि कोरोना के कारण ट्रंप इस राष्ट्रपति चुनाव से ही बाहर न हो जाएं। देखिए क्या होता है?

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)

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