गौरतलब है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में फोरेंसिक मेडिसिन विभाग ने प्रमाणित किया है कि हाथरस मामले में पीड़िता के साथ दुष्कर्म का कोई सबूत नहीं मिला है। इस सर्टिफिकेट को उत्तर प्रदेश सरकार ने कल सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे के साथ प्रस्तुत किया है। इसके साथ ही पीड़िता के साथ वैजिनल और एनल इंटरकोर्स के कोई सबूत नहीं मिले हैं। पीड़िता के शारीर पर हमले के साक्ष्य मिले हैं, जिसमें उसकी गर्दन और पीठ पर चोट के निशान पाए गए हैं। ज्ञात हो कि राज्य सरकार यह लगातार कहती आ रही है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई थी। लेकिन लड़की का परिवार दावा कर रहा है कि लड़की के साथ दुष्कर्म हुआ था।
जबकि आरोपियों के परिवार वाले भी यह दावा कर रहे हैं कि कोई दुष्कर्म नहीं हुआ था और लड़की को उसके भाई ने ही मारा था और उसके शरीर पर मिले चोट के निशान उसी के हैं। ज्ञात हो कि मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस की घटना को भयानक, चौंकाने वाला और असाधारण बताया था। इस मामले में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से तीन पहलुओं पर जवाब मांगा है कि पीड़ित परिवार और गवाहों की रक्षा किस तरह की जा रही है। इस मामले में क्या पीड़ित परिवार ने अपना कोई वकील रखा है। साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट की कार्यवाही का दायरा क्या है और वह इसका दायरा किस तरह से और बढ़ा सकता है।
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