नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से शिक्षा मित्रों को बड़ा झटका लगा है, बुधवार को देश की सबसे बड़ी अदालत ने उतर प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले पर बड़ा फैसला सुनाते हुए यूपी शिक्षा मित्र एसोसिएशन ने जो अपील दायर की थी उसे खारिज कर दिया है। कोर्ट ने शिक्षा मित्रों को संबंधित परीक्षाओं में हिंसा लेने का एक आखिरी मौका दिया है। कोर्ट ने इससे पहले 24 जुलाई को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सही ठहराते हुए कहा है कि, कट ऑफ़ 60 से 65 ही रहेगा। कोर्ट के इस फैसले के बाद 38 हजार शिक्षा मित्रों को कट-ऑफ अंकों में कोई छूट तो नहीं मिलेगी लेकिन सभी के पास के और मौका रहेगा। सीएम योगी आदित्यनाथ ने 31,661 पदों को एक हफ्ते के अंदर भरने के निर्देश 19 सितंबर को दिए थे।
उस सभी पदों पर सरकार द्वारा कट ऑफ 60-65 के आधार पर ही भर्ती होगी। यूपी सरकार के हलफनामे को रिकॉर्ड में लेते हुए कोर्ट ने कहा कि, नई कट ऑफ के कारण उन शिक्षा मित्रों को अगले वर्ष फिर से मौका मिलेगा जो इस बार नौकरी से वंचित रह गए हैं। शिक्षामित्रों ने कोर्ट में ये दलील दी थी कि, सरकार ने परीक्षा के बाद कट ऑफ तय किया था जो कि गलत है। इस मामले पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने छह मार्च को उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले को सही माना था और भर्ती प्रक्रिया को आगामी तीन माह में पूरा करने का भी आदेश दिया था।
इसके बाद शिक्षामित्रों इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। शिक्षामित्रों का कहना है कि, जब लिखित परीक्षा के लिए 45 हज़ार 357 अभ्यर्थियों ने फॉर्म डाला था, जिसमे 60 से 65 प्रतिशत के बीच 8,018 शिक्षामित्र पास हुए, लेकिन इसका डाटा किसी के पास नहीं है। वहीं 40 से 45 कटऑफ में कितने लोग पास हुए इसकी भी कोई जानकारी नहीं है। इसलिए 69,000 पदों में से 37,339 पद रिजर्व करके सहायक शिक्षक भर्ती की जाए या फिर उस पूरी भर्ती प्रक्रिया को रोक दिया जाए।
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