हाल की चुनावी पराजय के बाद कांग्रेसी व उनके समर्थक उदास हैं। वैसे लोकतंत्र प्रेमी भी चिंतित हैं जो देश में एक मजबूत सरकार के साथ ही एक मजबूत प्रतिपक्ष भी देखना चाहते हैं। पर, कांग्रेसियों, उनके हितचिंतकों व लाभुकों के पास कांग्रेस के पराभव को रोकने के क्या -क्या उपाय हैं ?
वे मुख्यतः यही कह रहे हैं कि कांग्रेस का संगठनात्मक चुनाव होना चाहिए। यानी,पार्टी को सिर्फ एक सक्रिय व समझदार नेता मिल जाए तो उनके अनुसार समस्या का समाधान हो जाएगा। पर वे उन मुख्य दो कारणों की चर्चा नहीं कर रहे हैं जिन कारणों से कांग्रेस अवनति की ओर है।
पहला कारण यह है कि भ्रष्टाचार ,घोटालों-महा घोटालों-वंशवाद जैसी बुराइयों के साथ कांग्रेस की अपार सहनशीलता हो गई है।
दूसरा, कारण यह कांग्रेस की धर्म निरपेक्षता पूरी तरह एकांगी है। यानी कांग्रेस के लिए न तो भ्रष्टाचार कोई समस्या है,न वंशवाद और न ही जेहादी आतंकवाद। कांग्रेसियों के खिलाफ जब अरबों रुपए के महा घोटाले के आरोप में भी मुकदमे कायम होते हैं,तो कांग्रेस नेता एक ही राग अलापते हैं कि ‘भाजपा सरकार राजनीतिक बदले की भावना से काम कर रही है।’
इन दो मामलों में जब तक कांग्रेस अपनी नीति व नीयत नहीं बदलेगी, तब तक कांग्रेस का पराभव जारी रहेगा।
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सन 2014 के लोक सभा चुनाव के बाद सोनिया गांधी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एंटोनी से कहा था कि आप चुनाव में कांग्रेस की हार के कारणों पर रपट बनाइए।
एंटोनी ने रपट बनाई।
सोनिया जी को दे दी।
उसमें अन्य कारणों के साथ- साथ यह भी लिखा गया था कि मतदाताओं को, हमारी पार्टी अल्पसंख्यक की तरफ झुकी हुई लगी जिसका हमें नुकसान हुआ। पर कांग्रेस हाईकमान ने एंटोनी की इस बात को भी नजरअंदाज कर दिया।
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भाजपा कोई 24 कैरेट का सोना नहीं है।
पर अनेक लोगों,यहां तक कि निष्पक्ष लोगों
को भी लगता है कि भाजपा
कांग्रेस से बेहतर दल है।
(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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