नई दिल्ली। कल 14 दिसंबर को सूर्य ग्रहण के बाद 15 दिसंबर से एक महीने का खरमास (Kharmas) लग रहा है। ज्योतिष के मुताबिक खरमास (Kharmas) तब शुरू होता है जब सूर्य वृश्चिक राशि की यात्रा समाप्त करके धनु राशि में लंगर डालते हैं। इस दौरान सूर्य वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इस राशि बदलाव को धनु संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद जब सूर्य राशि परिवर्तन करके मकर राशि में आता है, तो मकर संक्रांति पड़ती है। हिन्दू धर्म शास्त्र के मुताबिक खरमास (Kharmas) के दौरान सारे शुभ कार्य वर्जित होते हैं क्योंकि धनु बृहस्पति की आग्नेय राशि है और इसमें सूर्य का प्रवेश विचित्र, अप्रिय और अप्रत्याशित परिणाम की स्थिति बनाता है, जो मनुष्य ही नहीं बल्की सभी जीवों में चंचलता लाता है, जो सृष्टि को नकारात्मकता से भर देता है।
ज्योतिष के मुताबिक देव गुरु ‘बृहस्पति’ की राशि धनु या मीन में जब सूर्य चरण रखते हैं तो वह काल खंड सृष्टि के लिए विनाश लाता है। ये काल बहुत भारी होता है और प्रणियों को बेचैन कर देता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सूर्य जब 12 राशियों में भ्रमण करते हुए धनु और मीन में प्रवेश करता है तो उसके अगले महीने तक खरमास (Kharmas) का समय होता है।
इस मंत्र का करें जाप
बता दें कि धनु और मीन बृहस्पति कि राशि हैं। हालांकि खरमास (Kharmas) में भले ही शुभ कार्य वर्जित माना जाता है, लेकिन इस दौरान धार्मिक यात्रा को बेहद शुभ माना जाता है। खरमास काल में पवित्र नदी में स्नान करने से कई रोगों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही खरमास (Kharmas) में पड़ने वाली एकादशी के दिन व्रत रखने से पापों से मुक्ति मिलती है। इस दौरान सूर्य देव की पूजा करने से लाभ प्राप्त होता है। खरमास में ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ का जाप जरूर करना चाहिए। इस काल में पीपल का पूजन भी करना चाहिए।
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