जयपुर। कांग्रेस जिन राज्यों में बची है वहां भी उसका जनाधार खिसकता जा रहा है। राजस्थान के 21 जिलों के पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्यों के लिए हुए चुनावों के नतीजों पर गौर करें तो सत्तासीन कांग्रेस को जबरदस्त झटका लगा है। लगातार इन चुनावों के नतीजे आ रहे हैं और अब तक जिला परिषद सदस्यों के घोषित नतीजों के अनुसार भाजपा कुल 14 जिलों में बोर्ड बनाने की स्थिति में पहुंच चुकी है, जबकि कांग्रेस का सिर्फ पांच जनपद में ही बोर्ड बनता नजर आ रहा है। बता दें कि यहां जिला परिषद की कुल 636 सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा 323 और कांग्रेस 246 सीटें जीत चुकी हैं।
गौरतलब है कि पंचायत समिति सदस्यों के लिए हुए चुनाव में अब तक घोषित हो चुके नतीजों से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस के पंजे पर ग्रामीण क्षेत्रों में कमल भारी पड़ गया है। कुल 4371 सीटों में से भाजपा को 1836 और कांग्रेस को 1718 सीटों पर सफलता हासिल हुई है। मजे की बात यह है कि कांग्रेस को जिन-जिन सीटों पर हार का समना करना पड़ा है वह पार्टी के दिग्गज नेताओं का गढ़ माना जाता रहा है। गहलोत सरकार के मंत्री रघु शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, खेल मंत्री अशोक चांदना और मुख्यमंत्री के खास सरकारी उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी भी अपने निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी के उम्मीदवारों को जीत नहीं दिला सके। इस तरह कांग्रेस के गढ़ में भाजपा भगवा झंडा लहराने में कामयाब हो गई है। वहीं सादूलपुर से कांग्रेस विधायक कृष्णा पूनिया की सास और देवरानी दोनों उनके ही क्षेत्र से पंचायत समिति का चुनाव हार गई हैं।
केंद्र सरकार में अर्जुन राम मेघवाल के संसदीय क्षेत्र बीकानेर से जिला परिषद सदस्य के चुनाव में उनके बेटे को हार का सामना करना पड़ा है। वहीं कांग्रेस पार्टी के विधायक भंवर लाल शर्मा की पत्नी मनोहर देवी को सरदारशहर सीट से उन्हीं के देवर श्याम लाल ने पंचायत समिति सदस्य के चुनाव में पराजित किया है। बताते चलें कि अगले वर्ष राजस्थान के तीन विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने हैं। ऐसे में जिला परिषद और पंचायत चुनाव में मिली हार कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं।
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