नई दिल्ली । फैशन के इस दौर में कपड़ों के साथ मैचिंग जूते और चप्पल पहनने का चलन तेज हो गया है। बिना जूते या चप्पल के आपने किसी व्यक्ति को वहां देखा तो आपको कैसा लगेगा। एक गाँव ऐसा भी है जहाँ लोगों को जूते-चप्पल पहनने के नाम पर गुस्सा आता है। मदुरै से लगभग 20 किमी दूर कालीमयन गांव में लोगों को जूते और चप्पल पहनने की मनाही है।
गौरतलब है कि इस गांव में सालों से किसी ने अपने पैरों में चप्पल नहीं पहनी है। यहां तक कि इस गांव के लोग अपने बच्चों को इसे पहनने से मना करते हैं। अगर कोई गलती से जूते पहनता है, तो उसे कड़ी सजा दी जाती है। जूते-चप्पल न पहनने के पीछे लोगों का अपना तर्क होता है।
यहां बता दें कि इस गांव के लोग सदियों से अपाची नाम के देवता की पूजा करते रहे हैं। उनका मानना है कि केवल अपरा नाम के देवता ही उनकी रक्षा करते हैं। इस देवता के प्रति आस्था दिखाने के लिए गाँव की सीमा के अंदर जूते-चप्पल पहनने की अनुमति नहीं है। इस गांव के लोग पीढ़ियों से इस परंपरा का पालन कर रहे हैं। अगर गांव के लोगों को कहीं जाना होता है, तो वे गांव की सीमा तक पहुंचने के बाद चप्पल पहनते हैं।
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