धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सूर्य ग्रहण का विशेष महत्व है। इस दिन आकाश में कई ऐसी घटनाएं होती है, जिससे ब्रह्मांड को पढ़ने और जानने में बहुत मदद मिलती है। इतिहास के पन्नों को पलटा जाए तो सूर्य ग्रहण के समय में कई ऐसी खोज हुई है, जिससे विज्ञान को नया आयाम मिला है। जबकि धर्मिक ग्रंथों के अनुसार इस समय में कोई भी शुभ काम करना वर्जित है। इस समय नकरात्मक शक्तियां का प्रभाव पृथ्वी पर रहता है। आइए सूर्य ग्रहण से जुड़े वैज्ञानिक और धार्मिक रोचक तथ्य को जानते हैं-
-बात 1968 की है जब लार्कयर नामक वैज्ञानिक सूर्य ग्रहण के समय आकाशीय हलचल पर अपनी पैनी नजर रखे हुए थे। उसी समय उन्हें वर्ण मंडल में हीलियम गैस दिखा, जिससे उनकी उत्सुकता और बढ़ गई। इसी उत्सुकता में उन्होंने हीलियम गैस की खोज की थी।
-महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन को भी सूर्य ग्रहण के दौरान गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांतों के सत्यापित करने में मदद मिली थी। इस समय उन्हें पिंडों के आकर्षण का पता चला था, जिससे साफ़ हुआ कि सभी पिंडों का प्रकाश एक दूसरे पर पड़ता है।
-वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पूर्ण सूर्यग्रहण 11 मिनट का होता है। जबकि 21 वीं सदी में सबसे बड़ा पूर्ण सूर्य ग्रहण का समय 6 मिनट 18 सेकंड का था।
- ऋग्वेद में सूर्य ग्रहण की महत्ता को बताया गया है। इसके अनुसार अत्रिमुनि को सूर्य ग्रहण के बारे में पूरी जानकारी थी। कालांतर में यह विद्या उनके परिवार के लोगों को हासिल हुई। अगर वर्ष की गणना करें तो यह चार हजार ईसा पूर्व वर्ष की बात है।
-सूर्य ग्रहण के दौरान राहु-केतु का नकारत्मक प्रभाव रहता है। अतः इस समय में कोई भी धार्मिक अनुष्ठान, शुभ काम नहीं किए जाते हैं। खासकर गर्भवती महिलाओं को इस समय घर में ही रहना चाहिए। इसके साथ ही कई अन्य चीजों की सावधानियां बरतने का भी विधान है।
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