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Friday, October 11, 2024

लंग्स कैंसर का 40% खतरा घटेगा, जीवन बढ़ेगा! बस उठाना होगा यह एक कदम


 Lungs Cancer: आपने अक्सर सुना होगा कि धूम्रपान और अन्य तंबाकू उत्पादों से फेफड़ों को गंभीर नुकसान होता है। लंग्स कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो फेफड़ों की कोशिकाओं में उत्पन्न होता है। यह तब होता है जब फेफड़ों की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने और विभाजित होने लगती हैं, जिससे एक ट्यूमर बनता है। लंग्स कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है। फेफड़े में दो स्पंजी अंग होते हैं जो सांस लेने को नियंत्रित करते हैं। लंग्स कैंसर विश्व भर में कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण है।

धूम्रपान करने वाले लोगों को लंग्स कैंसर का सबसे ज़्यादा जोखिम होता है। धूम्रपान की अवधि और सिगरेट की संख्या के साथ फेफड़े के कैंसर का जोखिम बढ़ता है। कई सालों तक धूम्रपान करने के बाद भी धूम्रपान छोड़ने से फेफड़े के कैंसर के विकसित होने की संभावना काफी कम हो जाती है। लंग्स कैंसर उन लोगों में भी हो सकता है जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया हो।

भारत में तंबाकू से लाखों लोगों की मौत

2021 में भारत में तंबाकू से लगभग 10 लाख लोगों की मौत हुई, जो कुल मौतों का 17.8 प्रतिशत है। इनमें से 79.8 प्रतिशत मौतें सीधे धूम्रपान के कारण और 21.0 प्रतिशत सेकेंड हैंड धुएं से हुई हैं। अमेरिकी कैंसर सोसायटी के अनुसार, धूम्रपान के कारण हर साल वहां 5 में से 1 व्यक्ति की मृत्यु होती है। द लैंसेट पब्लिक हेल्थ में पब्लिश रिसर्च अनुसार, यदि 2050 तक दुनिया भर में धूम्रपान की बिक्री को मौजूदा स्तर से 5 प्रतिशत घटाया जाए, तो पुरुषों की जीवन में 1 साल और महिलाओं की में 0.2 साल की वृद्धि होगी।

हालिया रिसर्च में पता चला है कि 2006 से 2010 के बीच जन्मे लोगों के लिए सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने से, वैश्विक स्तर पर 70 वर्षों में 12 लाख फेफड़ों कैंसर से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है।

रिसर्च का क्या है कहना?

“द लैंसेट पब्लिक हेल्थ” में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, अगर तंबाकू को खत्म किया जाए, तो 2095 तक इस उम्र वर्ग में फेफड़ों कैंसर से होने वाली मौतों को 40 प्रतिशत तक रोका जा सकता है। स्पेन के सैंटियागो डे कंपोस्टेला विश्वविद्यालय की शोधकर्ता जूलिया रे ब्रांडारिज ने कहा है कि फेफड़ों का कैंसर दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोगों की जान लेता है, जिनमें से लगभग दो तिहाई मौतें तंबाकू और धूम्रपान से जुड़ी हैं। उनकी रिसर्च इस बात पर ध्यान केंद्रित करती है कि तंबाकू का उपयोग खत्म करना कितना लाभकारी सकता है। रिसर्च में यह भी बताया गया है कि 2050 तक यदि धूम्रपान की बिक्री को मौजूदा स्तर से 5 प्रतिशत भी घटाया जाए, तो पुरुषों की जीवन में 1 साल और महिलाओं में 0.2 साल की वृद्धि होगी। रिसर्च टीम का अंदाजा है कि इस पतरह के बदलावों से वैश्विक औसत आयु (Life Expectancy) , जो 2022 में 73.6 वर्ष है, 2050 तक बढ़कर 78.3 वर्ष हो जाएगी। अनुमान यह है कि 2050 में उम्र के अनुसार 21 प्रतिशत पुरुष और 4 प्रतिशत महिलाएं धूम्रपान करेंगी, जो जगहों के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। रिसर्चर्स का कहना है कि अगर पिछले साल धूम्रपान पूरी तरह खत्म कर दिया गया होता,  तो 2050 तक पुरुषों की जीवन में 1.5 साल और महिलाओं में 0.4 साल की वृद्धि हो सकती थी।

13 से 18 साल के युवाओं पर रिसर्च

रिसर्चर्स का कहना है कि उन्होंने 2006 और 2010 के बीच जन्मे लोगों पर रिसर्च इसलिए कि है क्योंकि ये लोग वर्तमान में 13 से 18 वर्ष की आयु के हैं, और ज्यादातर देशों में तंबाकू उत्पाद खरीदने की कानूनी उम्र 18 साल है। उन्होंने कहा, “इससे न केवल बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई जा सकती है, बल्कि धूम्रपान से प्रभावित लोगों के इलाज और देखभाल के लिए स्वास्थ्य प्रणाली पर पड़ने वाले दबाव को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है।”

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