झारखंड विधानसभा चुनाव नजदीक है. पहले चरण के चुनाव के लिए उम्मीदवारों की नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है. वहीं, दूसरे चरण के लिए विभिन्न राजनीतिक दल अपने-अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर रहे हैं. इसी बीच आज झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है. इस जारी लिस्ट के अनुसार झामुमो ने रांची से राज्यसभा सांसद महुआ माजी को उम्मीदवार बनाया है.
तीसरी बार चुनावी मैदान में उतर रही हैं महुआ माजी
लेखन और साहित्य की दुनिया से राजनीति की दुनिया में कदम रखी महुआ माजी सिर्फ झामुमो की प्रत्याशी ही नहीं बल्कि झारखंड राज्यसभा की पहली महिला सांसद भी हैं. 2024 के विधानसभा चुनाव में वह झामुमो की ओर से तीसरी बार चुनावी मैदान में उतर रही हैं. वहीं, रांची सीट से झामुमो की महुआ माजी और भाजपा के सीपी सिंह चुनावी मैदान में आमने-सामने होंगे. इससे पहले भी महुआ माजी ने भाजपा के सीपी सिंह को कड़ी टक्कर दी है. 2014 और 2019 में महुआ माजी को सीपी सिंह से करारी हार मिल चुकी है. ऐसे में लगातार दो चुनावों में हारने के बावजूद एक बार फिर झामुमो ने महुआ माजी को ही उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतारा है.
लेखन और साहित्य से बनाई पहचान
राजनीति में आने से पहले महुआ माजी की जिंदगी के बारे में बात करें तो महुआ माजी रंगमंच, लेखन और साहित्य के लिए जाना जाता है. 10 दिसंबर 1964 को जन्मी महुआ माजी बचपन में रंगमंच और चित्रकारिता से जुड़ी. रांची विश्वविद्यालय से महुआ माजी ने पोस्ट ग्रेजुएट और समाजशास्त्र में पीएचडी की पढ़ाई की. महुआ माजी कॉलेज के दिनों में कविताएं लिखते-लिखते लेखन की ओर प्रेरित हुईं. जिसके बाद साल 2006 में उन्होंने ‘मैं बोरिशाइल्ला’ नामक उपन्यास लिख डाली. ये उपन्यास इतनी चर्चे में रही कि हिंदी जगत में उन्हें एक पहचान मिल गई. इसके बाद महुआ माजी की उफ! ये नशा कालिदास!, झारखंडी बाबा, मोइनी की मौत, मुक्तियोद्धा, रोल मॉडेल, ताश का घर, सपने कभी नहीं मरते, ड्राफ्ट, जंगल, जमीन और सितारे व चंद्रबिन्दु ने काफी लोकप्रियता बटोरी. उनकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें झारखंड रत्न सम्मान, इंदु शर्मा अंतरराष्ट्रीय कथा सम्मान और मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी सम्मान मिल चुका है.
राजनीति में एंट्री
साहित्य और लेखन में अपना करियर बनाने के बाद महुआ ने राजनीति में अपनी किस्मत आजमाई. महुआ माजी शुरुआत से ही झामुमो से जुड़ी हुईं हैं. महिलाओं की आवाज बनकर महुआ माजी ने महिला आयोग में अपनी भूमिका निभाई. इसके बाद साल 2014 से महुआ माजी हेमंत सोरेन के कार्यकाल से ही जेएमएम के महिला मोर्चा की अध्यक्ष के रूप में काम कर रही हैं. महिला मोर्चा की अध्यक्ष के रूप में महुआ राज्यभर की महिलाओं से जुड़ीं और महिलाओं की समस्याओं और उनकी पीड़ा से रूबरू हुईं. साथ ही महिलाओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत की. जिसके बाद महुआ की कड़ी मेहनत और लग्न को देखते हुए ही झामुमो ने उन्हें 2014 में रांची विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए चुनावी मैदान में उतारा. जिसमें महुआ माजी को भाजपा के सीपी सिंह से हार का सामना करना पड़ा. लेकिन एक बार फिर साल 2019 में महुआ इसी सीट से चुनावी मैदान में उतरीं और भाजपा के सीपी सिंह को कड़ी टक्कर दी. हालांकि, उन्हें एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद झामुमो ने महुआ को राज्यसभा भेजा और वे झारखंड की पहली महिला राज्यसभा सांसद बनी.
लगातार दो चुनावों में हारने के बाद भी इस साल के विधानसभा चुनाव में झामुमो ने उन्हें रांची विधानसभा सीट पर लड़ने के लिए टिकट दिया है. एक बार फिर महुआ भाजपा सीपी सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरेंगी. ऐसे में इस बार यह देखना दिलचस्प होगा कि जिस सीट को साल 1990 से ही भाजपा अपने नाम करते आ रही है उसे क्या इस बार महुआ अपने नाम कर पाएगी.
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