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Tuesday, October 15, 2024

चुनाव के ऐलान के साथ ही समझें महाराष्ट्र का राजनीतिक समीकरण


 (Maharashtra Assembly Elections-2024 :  महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव-2024 (Maharashtra Assembly Elections-2024) के चुनाव 20 नवंबर को होंगे और वोटों की गिनती 23 नवंबर को करार्ई जाएगी। महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव की घोषणा के साथ ही हम आपको महाराष्ट्र का पूरा राजनीतिक समीकरण बता रहे हैं। महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव की घोषणा के साथ ही साथ महाराष्ट्र प्रदेश का राजनीतिक समीकरण जानना बहुत ही जरूरी है।

भारत की आर्थिक राजधानी भी है महाराष्ट्र

आपको बता दें कि महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई है। मुंबई को भारत की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है। साथ ही महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से भारत की पूरी फिल्म इंडस्ट्री चलती है। भारत की फिल्म इंडस्ट्री के कारण ही महाराष्ट्र का बॉलीवुड का प्रदेश भी कहा जाता है। वर्तमान में महाराष्ट्र प्रदेश में ((Maharashtra Assembly Elections-2024) महाराष्ट्र में फिलहाल एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली महायुति की सरकार है। सत्ताधारी महायुति में एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी शामिल है।

(Maharashtra Assembly Elections-2024

महाराष्ट्र चुनाव में महायुति के सामने सरकार रिपीट कराने की चुनौती है। बीजेपी ने चुनाव कार्यक्रम के ऐलान से पहले यह दाव किया है कि सूबे में प्रो-इनकम्बेंसी के वोट पड़ेंगे। वहीं, विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के खिलाफ माहौल का दावा कर रहा है। एमवीए की कोशिश होगी कि इस विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर सरकार बनाई जाए और उस दर्द पर मरहम लगाया जाए जो एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना विधायकों की बगावत, अजित पवार की अगुवाई में एनसीपी की बगावत से गठबंधन को मिला।
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीट हैं। महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा 145 विधानसभा सीटों का है। विधानसभा चुनाव में जिस दल या गठबंधन के पास 145 या इससे अधिक सीट होगी, सूबे में उसकी ही सरकार बनेगी।

महाराष्ट्र विधानसभा के 2019 के नतीजे

महाराष्ट्र विधानसभा के पिछले चुनाव 2019 में हुए थे। 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की अगुवाई वाले महायुति को 161 सीटों पर जीत मिली थी। तब बीजेपी 105 सीटों पर जीत के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी। 56 सीटें जीतकर शिवसेना दूसरे नंबर पर रही थी। तब बीजेपी और शिवसेना (संयुक्त) गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरे थे। बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को 161 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने का जनादेश मिला था। हालांकि, दोनों दलों के बीच अनबन के बाद शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली थी। 2019 के चुनाव में एनसीपी 54 सीटों के साथ तीसरी और कांग्रेस 44 सीटों के साथ चौथी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। महाराष्ट्र के पिछले चुनाव में भी दो गठबंधनों की लड़ाई थी, यही लड़ाई इस बार भी है लेकिन गठबंधनों का रूप बदल चुका है। 2019 के चुनाव में शिवसेना, बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन में शामिल थी और एनसीपी का कांग्रेस से दोस्ताना था। इस बार के चुनाव में शिवसेना और एनसीपी, दोनों ही एक साथ महायुति में शामिल हैं। दोनों ही गठबंधनों में शामिल हर पार्टी बेहतर नतीजों की उम्मीद कर रही है। महायुति की पार्टियों को महिलाओं के लिए कैश बेनिफिट स्कीम और इंफ्रास्ट्रक्चर पर हुए काम से फिर जनादेश मिलने का भरोसा है। महायुति डबल इंजन सरकार से विकास की तेज रफ्तार का भरोसा दिला रहा है। वहीं विपक्षी एमवीए को गद्दार कार्ड के सहारे सहानुभूति के वोट मिलने का विश्वास। एमवीए को सूबे में बिगड़ती कानून व्यवस्था से लेकर मराठा आरक्षण और शिंदे सरकार की विफलताएं कैश करा सत्ता में वापसी की उम्मीद है।

हां, फर्क इतना है कि पिछले चुनाव में उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली संयुक्त शिवसेना महायुति में थी, इस बार एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना इस गठबंधन में है। एनसीपी महायुति में है लेकिन शरद पवार महाविकास अघाड़ी में हैं। उद्धव ठाकरे और शरद पवार, दोनों ही कद्दावर नेता अपनी-अपनी पार्टियों में बगावत के बाद नाम-निशान गंवा नई पार्टी बना चुके हैं और नए नाम-निशान के साथ दोनों नेताओं का ये पहला महाराष्ट्र चुनाव होगा।

प्रतिष्ठा लगी है दांव पर

महाराष्ट्र के ये चुनाव में महायुति से लेकर एमवीए तक, दोनों ही गठबंधनों के साथ ही नेताओं और पार्टियों के लिए भी नाक का सवाल बन गया है। शिवसेना (यूबीटी) एकनाथ शिंदे को गद्दार बता रही है तो वहीं शिंदे की पार्टी खुद को असली शिवसेना। दोनों दलों के लिए ये चुनाव असली शिवसेना किसकी, एक तरह से जनता की अदालत से इसे लेकर फैसले की तरह होंगे। असली-नकली पार्टी की ऐसी ही लड़ाई अजित पवार और शरद पवार की पार्टियों के बीच भी है। बीजेपी के सामने यह साबित करने की चुनौती होगी कि लोकसभा चुनाव के नतीजे विपक्ष के दुष्प्रचार की देन थे, एक तुक्का थे, जैसा पार्टी के नेता आम चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद से ही कहते भी आए हैं। वहीं, कांग्रेस के सामने आम चुनाव में मिले जीत के मोमेंटम को बरकरार रखने का चैलेंज होगा। महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव तय करेंगे कि दोनों शिवसेना में असली शिवसेना कौन सी है। किस शिवसेना की प्रतिष्ठा स्थापित होगी। 

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