Canada : कनाडा का नाम इन दिनों दुनिया भर में चर्चा का विषय बन रहा है। भारत तथा कनाडा (Canada)के बीच विवाद चरम सीमा पर पहुंच चुका है। इस दौरान दुनिया भर के विश्लेषक यह दावा कर रहे हैं कि कनाडा अपने इतिहास के सबसे नाजुक दौर से गुजर रहा है। कनाडा की अर्थव्यवस्था भी बिगड़ रही है। अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए कनाडा लगातार कड़े फैसले ले रहा है।
प्रवासियों से तंग आ गया है कनाडा
कनाडा को प्रवासियों का स्वर्ग कहा जाता रहा है। प्रवासियों के लिए कनाडा (Canada) में जाना तथा रहना आसान रहा है। लगता है कि आने वाले दिनों में कनाडा प्रवासियों के लिए स्वर्ग नहीं रहने वाला है। अपनी बिगड़ती हुई अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए कनाडा सरकार बहुत कठोर कदम उठा रही है। कनाडा को लगता था कि प्रवासियों के कारण उसकी अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। अब कनाडा की सरकार उल्टा सोच रही है। कनाडा की सरकार का मत है कि कनाडा को अप्रवासियों के कारण बड़ा नुकसान हो रहा है। यही कारण है कि कनाडा की सरकार प्रवासी कानूनों में बड़े बदलाव कर रही है।
कनाडा में प्रवासन नीति बनेगी कठोर
अपनी अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के लिए पिछले कुछ वर्षों से लाखों प्रवासियों को अपने यहां बुलाने वाले देश कनाडा ने अब अपनी प्रवासन नीति को सख्त बनाने का फैसला किया है, क्योंकि प्रवासियों की भीड़ से उसके यहां आवासन, स्वास्थ्य सेवा और दूसरे क्षेत्रों में चुनौतियां पैदा हो रही हैं। विदेशी छात्र जो कनाडा में पढ़ने के लिए आते हैं, उन्हें यहां रहने के लिए वर्क परमिट मिलता है। अस्थायी तौर पर कनाडा में रहने वाले प्रवासियों का सबसे बड़ा समूह यही होते हैं। दूसरे समूह में वे होते हैं, जिन्हें कनाडा की कंपनियां काम करने के लिए बुलाती हैं, प्रवासियों के तीसरे समूह में वे हैं, जो यहां शरण मांगने के लिए आते हैं।
दरअसल कोविड के बाद जब कनाडा श्रमिकों की भारी कमी से जूझ रहा था, तब उसने टेंपरेरी रेजिडेंस प्रोग्राम को गति दी, ताकि ज्यादा से ज्यादा प्रवासी आएं। नतीजतन कनाडा में टेंपरेरी रेजिडेंस का दर्जा पाए प्रवासियों का आंकड़ा 30 लाख तक पहुंच चुका है। इनमें से 22 लाख प्रवासी तो पिछले दो साल में कनाडा आए हैं। प्रवासियों का दबाव कनाडा किस तरह झेल रहा है, इसका पता इससे चलता है कि टेंपरेरी रेजिडेंस का दर्जा पाने वाले प्रवासी अभी देश की कुल आबादी का 6.8 फीसदी हैं, जबकि 2022 में ये प्रवासी कुल आबादी का 3.5 प्रतिशत थे। वैसे भी कनाडा उन देशों में है, जो कोविड के पहले भी प्रवासियों का स्वागत करता रहा है। लेकिन प्रवासियों की बढ़ती संख्या से कनाडा के कई शहरों में आवासन संकट गहरा गया है, तो कई प्रांतों में स्वास्थ्य सुविधा व्यवस्था चरमरा रही है। आलोचकों का कहना है कि प्रवासियों की बढ़ती भीड़ के कारण कनाडा में यह स्थिति आई है। विगत अगस्त में हुए एक सर्वेक्षण में देश के दो तिहाई नागरिकों ने यह माना कि सरकारी नीति के कारण बहुत कम समय में भारी संख्या में प्रवासी देश में आ गए हैं, जिससे कई समस्याएं पैदा हुई हैं।
कनाडा ने घटा दी है स्टूडेंट वीजा की संख्या
आपको बता दें कि कनाडा की सरकार लगातार कठोर फैसले कर रही है। इसी कड़ी में तमाम चुनौतियों को देखते हुए कनाडा की सरकार ने इस साल की शुरुआत में ही स्टूडेंट वीजा जारी करने की संख्या घटा दी है। इसके अलावा उसने यह भी कानून बना दिया है कि कंपनियां तय संख्या से ज्यादा प्रवासी श्रमिकों को यहां काम के लिए नहीं बुला सकतीं। ऐसे ही, जिन प्रवासियों का वर्क परमिट खत्म हो रहा है, उसके नवीकरण में भी सख्ती बरती जा रही है। गौर करने की बात यह है कि प्रवासियों के प्रति कनाडा जैसा रवैया अमेरिका और यूरोप में भी देखा जा रहा है।
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