रांची (RANCHI) : झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई है. इसी घोषणा के साथ तमाम राजनीतिक दल सक्रिय हो गए है. चुनावी सरगर्मी को देखते हुए भाजपा ने सबसे पहले अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. जिसके बाद तमाम पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी. इसी कड़ी में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी दूसरी लिस्ट जारी कर दिया है. जिसमें केवल एक नाम है और वह नाम है रांची विधानसभा से राज्यसभा सांसद महुआ माजी. ऐसे में चलिए जानते है कि आखिर रांची विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार के नाम की घोषणा करने के लिए झामुमो को इतना समय क्यों लग गया.
दरअसल रांची विधानसभा सीट, जिसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए सुरक्षित माना जाता है, इस बार भी पिछली बार की तरह भाजपा ने अपने पुराने उम्मीदवार सीपी सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं जेएमएम ने राज्यसभा सांसद महुआ माजी को फिर से चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया है. 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने भाजपा को कड़ी चुनौती दी थी. लेकिन रांची विधानसभा सीट पर भाजपा की विजय रथ को महुआ माजी नहीं रोक सकी थी. ऐसे में क्या एक बार फिर महुआ माजी भाजपा की जीत को रोक पाती है या नहीं यह देखने वाली बात होगी.
रांची विधानसभा सीट पर भाजपा की जीत का रहा इतिहास
रांची विधानसभा सीट पर भाजपा की लगातार जीत का इतिहास रहा है. 1990 के बाद से यह सीट भाजपा के लिए कभी नहीं हारी है.1990 में गुलशन लाल अजमानी ने जीत हासिल की थी, जबकि 1985 में डॉ. जय प्रकाश गुप्ता ने कांग्रेस के लिए यह सीट जीती थी. सीपी सिंह ने 1997 में उपचुनाव में जीत दर्ज की और तब से लेकर अब तक इस सीट पर लगातार भाजपा जीत दर्ज करते आ रही है. इस बार भाजपा रांची में कमल खिला पाती है या नहीं यह देखने वाली बात होगी. महुआ माजी की बढ़ती सक्रियता भाजपा के लिए चुनौती बन सकती है.
रांची सीट से 5 बार चुनाव जीत चुके हैं सीपी सिंह
रांची सीट से सीपी सिंह पांच बार चुनाव जीत चुके हैं, इस बार भी भाजपा के उम्मीदवार है. उन्होंने 2019 के विधानसभा चुनाव में महुआ माजी को 5,904 वोटों से हराया था. इस बार का चुनावी परिदृश्य को देखते हुए भाजपा की स्थिति थोड़ी चुनौतीपूर्ण हो सकती है. महुआ माजी ने 2019 में अच्छे मत प्राप्त किए थे, जिससे यह प्रतीत होता है कि भाजपा को इस बार अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है. भाजपा के लिए यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दूसरी बार है जब किसी सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया है. भाजपा ने सरकार के गठन के समय ही यह दावा किया था कि यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी, लेकिन अब ऐसा होता दिख रहा है.
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