2024 का चुनाव झारखंड के कई कद्दावर नेताओं के अगली पीढ़ी का भविष्य तय करेगा. यह चुनाव किसी के भाई का भी भविष्य तय करेगा. इस चुनाव में यह निश्चित हो जाएगा कि नेताओं की अगली पीढ़ी राजनीति में चलेगी अथवा नहीं. सब कोई अपने-अपने ढंग से अपनी अगली पीढ़ी को चुनावी राजनीति में सफल करने की कोशिश में जुटा हुआ है. कुछ तो सक्रिय राजनीति में रहते हुए अपनी अगली पीढ़ी को राजनीति में स्थापित करने का 2024 का चुनाव एक उदाहरण बन सकता है. कई नेता खुद चुनाव में न उतरकर अपनी अगली पीढ़ी को आगे किया है. कोशिश कर रहे हैं कि उनकी अगली पीढ़ी विधायक का चुनाव जीत जाए. राज्य में दो-दो ससुर अपनी बहू को जीत दिलाने की कोशिश में है.
वही, दो पिता अपने-अपने पुत्र को और एक मां अपने बेटे को राजनीति में स्थापित करने में लगे हुए है. एक सांसद अपने भाई को राजनीति में स्थापित करने में लगे हुए है. पूर्व सीएम चम्पाई सोरेन सरायकेला से भाजपा के उम्मीदवार है. वहीं ,उनके बेटे बाबूलाल सोरेन घाटशिला से भाजपा के उम्मीदवार है. दोनों पिता -पुत्रों की जोड़ी चुनावी मैदान में है. चंपाई अपनी सीट पर तो मेहनत कर ही रहे हैं ,वहीं बेटे के लिए भी प्रचार कर रहे है. शिकारीपाड़ा के विधायक नलिन सोरेन अब दुमका से सांसद बन गए है. अब उनकी जगह पर उनका बेटा आलोक सोरेन शिकारीपाड़ा से झामुमो के प्रत्याशी है. नलिन सोरेन उनके लिए दिन-रात मेहनत कर रहे है. क्षेत्र में घूम-घूम कर वोट मांग रहे है. झामुमो की जोबा मांझी अब सांसद बन गई है.
मनोहरपुर विधानसभा से उनकी जगह पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने उनके बेटे जगत मांझी को उतारा है. जोबा मांझी अपने बेटे के लिए लगातार वोट मांग रही है. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास साहू जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनाव लड़ रही है. यह अलग बात है कि संवैधानिक पद पर होने के कारण रघुवर दास वोट तो नहीं मांग रहे हैं, लेकिन यह उनका पारंपरिक सीट रही है. इधर, उद्योग मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने चतरा से अपनी बहू रश्मि प्रकाश को चुनाव में उतारा है. रश्मि प्रकाश राजद की टिकट पर चुनाव लड़ रही है. उनके लिए सत्यानंद भोक्ता वोट मांग रहे है. इधर, धनबाद के बाघमारा से सांसद ढुल्लू महतो अपने भाई शत्रुघ्न महतो को भाजपा से टिकट दिलाने में सफल रहे. अब वह भाई के लिए चुनाव प्रचार कर रहे है.
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