सादगी पसंद चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को छोड़नी पड़ी मॉर्निंग वॉक: ये हैं उनके सुनाए पांच अहम फैसले, पिता-चाचा दोनों रहे जज - Newztezz

Breaking

Sunday, November 10, 2024

सादगी पसंद चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को छोड़नी पड़ी मॉर्निंग वॉक: ये हैं उनके सुनाए पांच अहम फैसले, पिता-चाचा दोनों रहे जज

 


New CJI Sanjiv Khanna: मौजूदा मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) 10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। इसके अगले दिन यानी 11 नवंबर सोमवार को जस्टिस संजीव खन्ना भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। जस्टिस खन्ना ने 1983 में अपना कानूनी करियर शुरू किया और तीस हजारी जिला न्यायालय, दिल्ली उच्च न्यायालय सहित विभिन्न अदालतों में प्रैक्टिस की है। जस्टिस संजीव खन्ना भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice Of India) बनेंगे। पद ग्रहण करने से पहले जस्सिट खन्ना ने एक खुलासा करते हुए बताया कि उन्हें अपनी सबसे पसंदीदा चीज, सुबह की सैर, छोड़नी पड़ी है।

अकेले घूमना पसंद इसलिए छोड़ दी वॉक

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस संजीव खन्ना के नाम की घोषणा होने के बाद प्रोटोकॉल के तहत सुरक्षा दी जानी थी। जिसके बाद उनके सुबह की सैर पर भी सुरक्षा कर्मी साथ जाते। इसलिए उन्होंने तय किया है कि वे सुरक्षा कर्मियों के साथ सैर पर नहीं जाएंगे, भले ही उन्हें सुझाव दिया गया था कि सुरक्षा कारणों से ऐसा करना उचित होगा। उनका मानना है कि सैर करना उनकी निजता और स्वतंत्रता का मामला है, और वे इसे सुरक्षा कर्मियों की उपस्थिति में नहीं करना चाहते हैं। यह उनकी व्यक्तिगत पसंद है। इसलिए उन्होंने मॉर्निंग वॉक पर जाना बंद कर दिया।

कौन हैं जिस्टिस संजीव खन्ना

जस्टिस संजीव खन्ना दिल्ली के मूल निवासी हैं, जिनका जन्म 14 मई 1960 को हुआ था। उन्होंने मॉडर्न स्कूल, दिल्ली से शुरुआती शिक्षा प्राप्त की और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने डीयू के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई की। 1983 में उन्होंने दिल्ली बार काउंसिल में पंजीकरण कराया और तीस हजारी कोर्ट, साकेत कोर्ट और बाद में दिल्ली हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की। इसके बाद वे दिल्ली हाईकोर्ट शिफ्ट हुए।

पिता और चाचा रहे हैं जज

जस्टिस संजीव खन्ना के परिवार में न्यायपालिका की परंपरा रही है। उनके पिता जस्टिस देवराज खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे, जबकि चाचा जस्टिस हंसराज खन्ना सुप्रीम कोर्ट के जज रहे। एक दिलचस्प संयोग यह है कि जस्टिस संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी यात्रा उसी कोर्ट रूम से शुरू की जहां से उनके चाचा सेवानिवृत्त हुए थे।

जस्टिस संजीव खन्ना के महत्वपूर्ण फैसले 

इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में फैसला

2024 में इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित करने वाली पांच जजों की बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना भी शामिल थे। इस बेंच में रहते हुए उन्होंने कहा कि बैंकिंग चैनल के माध्यम से दान करने पर दानदाताओं की गोपनीयता का अधिकार नहीं है।

आर्टिकल 370 पर फैसला

इसके अलावा, उन्होंने आर्टिकल 370 पर भी एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद विषम संघवाद की एक विशेषता थी, लेकिन यह संप्रभुता का संकेत नहीं था। इसके हटाने से संघीय ढांचे पर कोई असर नहीं पड़ता ¹।

चीफ जस्टिस के ऑफिस को RTI के दायरे में लाने वाला फैसला

3 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि मुख्य न्यायाधीश का दफ्तर (CJI Office) अब आरटीआई के दायरे में होगा। जस्टिस संजीव खन्ना इस बेंच का हिस्सा थे, जिन्होंने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था। यह फैसला न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

बिलकिस बानो मामले में गुजरात सरकार की याचिका की थी खारिज

बिलकिस बानो मामले में जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna) की अध्यक्षता वाली बेंच ने दो दोषियों की याचिका खारिज कर दी, जिन्होंने गुजरात सरकार द्वारा अपनी छूट रद्द करने के फैसले को चुनौती दी थी। दोषियों ने आत्मसमर्पण करने से इनकार किया था।

सुप्रीम कोर्ट ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस संजीव खन्ना 22 मई 2023 तक 354 से अधिक बेंच का हिस्सा रहे हैं और 93 जजमेंट सुना चुके हैं।

No comments:

Post a Comment