झारखंड प्रकृति की सुंदरता से सजा ऐसा खूबसूरत राज्य है, जिसकी हरियाली जंगल पहाड़ किसी का दिल जीत लेते है, वहीं यहां प्रकृति की लोग पूजा भी करते है.सदियों से यहां निवास करनेवाली आदिम जनजाती के लोग विभिन्न तरीकों से प्रकृति की पूजा करते है, और तरह तरह के त्यौहार मनाते है.जिसमे सरहूल, हूल करम पूजा शामिल है.वहीं इन पर्व त्यौहारों में सोहराय का नाम भी शामिल है, जिसे झारखंड के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में मनाया जाता है
धूमधाम से मनाया जा रहा है चार दिनों का सोहराय पर्व
आपको बताये कि पूर्वी सिंहभूम के मुसाबनी प्रखंड मे धूमधाम के साथ चार दिनों का सोहराय पर्व मनाया जा रहा है. यह पर्व एक माह तक विभिन्न गांव मे अलग अलग तिथि पर मनायी जाती है , जिसमे गोरू खुटान का पर्व भी खास रहता है. गोरू खुटान में गांव के लोग अपने मवेशियों के साथ खेलते है. इस पर्व की खास बात यह है कि लोग इसमे अपने पशु को खुश करने की कोशिश करते है.ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि साल भर उन्ही मवेशियों के कारण उनकी खेती होती है.जिसको लेकर पशुओं का धन्यवाद किया जाता है.
पढ़ें क्यों मनाया जाता है गोरू खुटान पर्व
आपको बताये कि खेत मे जब धान की फसल पक जाने के बाद , उसे काट कर किसान जब अपने खलियान में ले आते है, तब यह गुरू खुटान का पर्व मनाया जाता है.जिसमे एक मैदान में गांव के सभी किसान अपने अपने बैलों को लेकर एक खूटा से बांध देते है, और उनके साथ खेलते है. जब धान की फसल अच्छी हो तब घर मे खुशियाँ मनायी जाती है और इस खुशी मे किसान अपने मवेशियों को भी उनके साथ खेल कर इस खुशी मे शामिल करते है. बैलों के साथ एक पशु का ही चमड़ा दिखा कर उसके साथ खेला जाता है.
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