Shortcut message gets less response: आजकल सभी समय बचाने के चक्कर में शॉटकट मैसेज लिखने को ज्यादा तवज्जो देते हैं। खासकर यह जेन-जी में ज्यादा देखा गया है कि वह मैसेज भेजते समय पूरा संदेश नहीं भेज कर शॉर्ट में लिखना पसंद करते हैं।
लेकिन शोधकर्ताओं के अनुसार, मैसेजिंग के इस तरिके से मैसेज का प्रभाव कम हो जाता है और प्रतिक्रिया मिलने के चांसेज भी कम हो जाते हैं। ऐसे मैसेज गुड प्रैक्टिस की श्रेणी में नहीं आते और ऐसा करने वाले लोग कम ईमानदार भी माने जाते हैं।
5000 से अधिक लोगों के मैसेज का हुआ विश्लेषण
बता दें, आज कल मैसेज लिखने के लिए ज्यादातर लोग ‘आप कैसे हैं’ के लिए ‘hru’ और गुड मॉर्निंग के लिए ‘gm’ जैसे शॉर्टकट अपनाते हैं।
लेकिन, मनोवैज्ञानिकों ने जब 8 अध्ययनों में 5000 से ज्यादा लोगों के मैसेज का विश्लेषण किया तो उन्होंने पाया कि जो लोग मैसेज लिखने में कम शब्दों का प्रयोग करतें हैं वह कम ईमानदार माने जाते हैं। साथ हीं उन्हें उनके मैसेज की प्रतिक्रिया मिलने के चांसेज भी कम (Shortcut message gets less response) होते हैं।
यह भी देखा गया है कि छोटे मैसेज का जवाब भी शॉर्ट में ही मिलते हैं, वहीं फिडबैक लूप की संभावना भी बढ़ जाती है।
छोटे मैसेज प्रभावी संचार में बाधक
जर्नल ऑफ एक्सपरिमेंटल साइकोलॉजी के एक लेखक के अनुसार, शब्दों का संक्षेप लिखने से भले ही समय की बचत होती हो, लेकिन यह प्रभावी संचार में बाधक होते हैं।
ऐसे मैसेज का प्रभाव भी लोगों पर कम पड़ता है। इसके अलावा मैसेज में किन शब्दों का कैसे इस्तेमाल किया गया है, यह पढने वाले पर विशेष छाप छोड़ता है।
संदेश पढ़ने के बाद लोग उत्तर देने या देने पर विचार करते हैं। इसलिए, शॉर्ट मैसेज लोगों पर अक्सर नेगेटीव प्रभाव छोड़ सकतें हैं और लोगों को लगता है कि भेजने वाले ने संदेश देने के लिए कम प्रयास किया है।
क्या है मैसेज लिखने का सही तरीका
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और टोरंटो यूनिवर्सिटी की टीम ने एक अध्ययन में पाया कि जो लोग छोटे मैसेज लिखते हैं, उन्हें शब्दों को स्पष्ट रुप से लिखने वालो की तुलना में कम प्रतिक्रियाएं मिलती हैं।
ऐसे में एक प्रभावी संचार होने के लिए लोगों को शॉर्ट मैसेज लिखने से बचने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही वह मैसेज को प्रभावी बनाने के लिए सही शब्दों का चयन करना चाहिए।
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