पति-पत्नी के संबंधों पर उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट का बड़ा फैसला - Newztezz

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Monday, November 11, 2024

पति-पत्नी के संबंधों पर उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

 


UP News : उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट का एक बड़ा फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है। उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट का यह बड़ा फैसला पति तथा पत्नी के बीच Sex संबंधों को लेकर सुनाया गया है। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट के इस फैसले की अलग-अलग ढंग से समीक्षा की जा रही है। कुछ लोग इस फैसले को शानदार फैसला बता रहे हैं तो कुछ लोगों को उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट का यह बड़ा फैसला पसंद नहीं आ रहा है। यहां हम उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आपको बता रहे हैं।

पति तथा पत्नी के संबंधों को लेकर दिया उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने फैसला

सबको पता है कि पति तथा पत्नी के संबंध बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। पति तथा पत्नी के बीच बनने वाले Sex संबंधों की बदौलत ही बच्चे जन्म लेते हैं। बच्चों के जन्म के कारण ही सृष्टि का विकास होता है। पति तथा पत्नी के विवाद बढ़कर अदालतों तक पहुंच जाते हैं। इसी प्रकार के एक विवाद में उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि किसी भी पति अथवा पत्नी को Sex संबंध बनाने अथवा नहीं बनाने की पूरी आजादी है। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि लगातार लम्बे समय तक Sex संबंध बनाने से मना करने को क्रूरता माना जा सकता है। कभी-कभी मना करने को क्रूरता नहीं माना जा सकता है। जो संबंध क्रूरता की श्रेणी में नहीं आते हैं उन संबंधों के आधार पर तलाक नहीं दिया जा सकता।

क्या है पूरा मामला?

उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने शादी के नौ साल बाद पत्नी के शारीरिक संबंध बनाने से इंकार करने के आधार पर तलाक की मांग करने वाले मिर्जापुर के डॉक्टर पति की अपील खारिज कर दी। कहा, लंबे समय तक इंकार का सिलसिला जारी रहे तो ही इसे क्रूरता माना जाएगा और तलाक देना संभव होगा। कोर्ट में पत्नी ने दलील थी कि रिश्ते रखकर ही वह दो बच्चों की मां बनी है।

न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति दोनादी रमेश की खंडपीठ ने कहा कि, पति-पत्नी के बीच शारीरिक अंतरंगता की प्रकृति तय करना अदालत का काम नहीं है। आपसी संबंधों से इंकार का सिलसिला लगातार जारी है अथवा नहीं, यह साबित करने का जिम्मा पक्षकारों का है। मिर्जापुर निवासी डॉक्टर दिल्ली में प्रैक्टिस करते हैं, ‘जबकि उनकी डॉक्टर पत्नी नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुकी हैं। उनकी शादी 1999 में हुई थी। इनके दो बच्चे हैं, जिनमें एक मां तो दूसरा पिता के साथ रह रहा है। पति ने ‘शादी के नौ साल बाद 2008 में शारीरिक रिश्ते – रखने से इंकार को आधार बनाते हुए पारिवारिक न्यायालय में तलाक की अर्जी दाखिल की।

पत्नी ने दिया बड़ा सबूत UP News

इस मामले में डॉक्टर की पत्नी ने अदालत को बड़ा सबूत दिया है। दरअसल डॉक्टर पति ने आरोप लगाया था कि एक धर्मगुरु के बहकावे में आकर पत्नी ने उनसे दूरी बना ली है। पत्नी ने आरोपों को सिरे से नकार दिया। कहा, इसी संबंध के कारण वह आज दो बच्चों की मां हैं। इससे सिद्ध होता है कि उनके बीच दूरियां कभी थीं ही नहीं। इन दलीलों से संतुष्ट पारिवारिक न्यायालय ने पति की अर्जी खारिज कर दी थी। 

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