Military engineering: मिलिट्री इंजीनियरिंग के 41 हजार से ज्यादा पदों पर 3 साल से भर्तियां अटकी हुई हैं। इसके पीछे की वजह रक्षक और वित्त मंत्रालय (Military engineering) के बीच खींचतान है।
बता दें कि रक्षा मंत्रालय के अधीन इन भर्तियों (Military engineering) की प्रक्रिया 2021 में शुरू हुई थी। 29 अगस्त 2021 को परीक्षा हुई थी और अक्टूबर में नतीजे आ गए थे। उसके बाद अगले महीने नवंबर में सफल उम्मीदवारों के दस्तावेजों का सत्यापन भी कर लिया गया था। हालांकि, 3 साल से नियुक्ति पत्र ही नहीं मिला। इसे लेकर जब मंत्रालय से संपर्क किया गया, तब पता चला कि इस पर वित्त मंत्रालय ने रोक लगाई थी।
क्यों लगाई गई रोक?
मिलिट्री इंजीनियरिंग (Military engineering) के 41 हजार से ज्यादा पदों पर 3 साल से अटकी इन भर्तियों को लेकर रक्षा से वित्त मंत्रालय तक और सेना की दक्षिण कमान तक कोई भी बताने को तैयार नहीं है कि रोक क्यों लगाई गई और कब तक लगी रहेगी। इस मामले में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि जांच चल रही है।
उन्होंने इस मामले में आखिरी सूचना 24 सितंबर 2024 को यूपी में नगीना से सांसद चंद्रशेखर के ज्ञापन के जवाब में दी थी। उन्होंने कहा था कि हैरानी की बात यह है कि सत्ता पक्ष व विपक्ष के आधा दर्जन सांसदों के ज्ञापन के बावजूद इन अभ्यर्थियों को नौकरी नहीं मिल पा रही है।
कैसे होता है सिलेक्शन?
बता दें कि भारतीय सेना में मिलिट्री इंजीनियरिंग (Military engineering) के लिए टेक्निकल ग्रेजुएट कोर्स (TGC) की परीक्षा देनी पड़ती है। इस परीक्षा को पास करने के बाद, इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) में 12 महीने की ट्रेनिंग दी जाती है।
इस ट्रेनिंग का पूरा खर्चा सरकार (Military engineering) उठाती है। इसके बाद उम्मीदवारों को शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत भारतीय सेना में सीधे लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त किया जाता है।
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