बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: SC ने कहा-आरोपी होने पर घर नहीं गिराया जा सकता, प्रशासन जज न बने - Newztezz

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Wednesday, November 13, 2024

बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: SC ने कहा-आरोपी होने पर घर नहीं गिराया जा सकता, प्रशासन जज न बने

 


SC on Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन मामले में आज 13 नवंबर बुधवार को फैसला सुना रहा है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस  विश्वनाथन की बेंच ने बीते 1 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित कर लिया था.

लेकिन SC ने कहा था कि फैसला आने तक देशभर में बुलडोजर एक्शन पर रोक जारी रहेगी. इस मामले में जस्टिस गवई ने कहा कि” एक आदमी हमेशा सपना देखता है कि उसका आशियाना कभी छीना न छीना जाए”.

बता दें जमीयत उलेमा ए हिंद सहित कई याचिकाकर्ताओं ने देशभर के कई राज्यों से बुलडोजर एक्शन के खिलाफ SC में याचिकाएं दाखिल की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में बुलडोजर कार्रवाई पर सुनवाई करते हुए कहा कि हर नागरिक का यह सपना होता है कि उसका घर कभी न टूटे। जस्टिस गवई ने कहा कि केवल किसी को दोषी करार देना घर तोड़ने का आधार नहीं बन सकता.

लोकतंत्र में नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना बेहद जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सिर पर छत होना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और मकान गिराने की कार्रवाई चुनिंदा नहीं हो सकती.

आम आदमी का घर उसकी सालों की मेहनत और संघर्ष का नतीजा होता है, और अपराध के लिए सजा देना घर तोड़ने जैसा नहीं होना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अहम बातें 

सुप्रीम कोर्ट न कहा कि- हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसका आशियाना सुरक्षित रहे और सिर पर छत हो. लेकिन सवाल यह है कि क्या किसी आरोपी व्यक्ति का घर बिना तय प्रक्रिया के गिराया जा सकता है? अपराधी होने का आरोप लगने पर भी व्यक्ति के साथ न्याय होना चाहिए और बिना तय प्रक्रिया के उसकी संपत्ति नहीं छीनी जा सकती है. न्याय प्रणाली में यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी भी आरोपी को दोषी साबित होने से पहले दोषी न माना जाए.

अगर कोई अधिकारी किसी व्यक्ति का घर केवल आरोपी होने के आधार पर गलत तरीके से गिराता है, तो यह कानून गलत है. अधिकारियों को कानून का पालन करते हुए कार्य करना चाहिए, और मनमाने तरीके से किसी आरोपी के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई नहीं की जा सकती. आरोपी के कुछ भी अधिकारी होते हैं. यदि कोई अधिकारी कानून अपने हाथ में लेकर ऐसा कदम उठाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए और मुआवजा भी मिलना चाहिए. गलत नियत से लिया गया एक्शन बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.

किसी व्यक्ति को केवल आरोपी होने पर उसकी संपत्ति को गिराना पूरी तरह असंवैधानिक है. अधिकारी यह तय नहीं कर सकते कि कोई दोषी है या नहीं, क्योंकि वे खुद न्यायधीश नहीं हैं. इस प्रकार का एक्शन उनकी सीमाओं का अतिक्रमण है. बुलडोजर एक्शन ताकत के गलत इस्तेमाल का उदाहरण है, जिसे इजाजत नहीं दी जा सकती. यह कदम किसी दोषी के खिलाफ भी गैरकानूनी माना जाएगा और ऐसा करने वाला अधिकारी कानून हाथ में लेने का दोषी होगा.

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