SEBI New Rule: सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) के लिए 1 पर्सेंट सिक्योरिटी डिपॉजिट की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। इसके अलावा, सेबी ने लिस्टिंग प्रक्रिया के दौरान 1 पर्सेंट सिक्योरिटी डिपॉजिट रिलीज करने के लिए नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) की आवश्यकता को भी हटा दिया है। अब तक, लिस्टिंग करने वाली कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंजों के पास इश्यू साइज का 1 पर्सेंट हिस्सा सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में जमा करना होता था, जिसे बाद में रिफंड कर दिया जाता था। लेकिन अब यह आवश्यकता समाप्त हो गई है, जिससे कंपनियों के लिए आईपीओ लाना आसान हो जाएगा।
SEBI ने जारी किया सर्कुलर
यह फैसला कंपनियों और निवेशकों दोनों के लिए फायदेमंद होगा, क्योंकि इससे आईपीओ (IPO Process) प्रक्रिया में आसानी होगी और निवेशकों को अपने पैसे वापस मिलने की गारंटी होगी। सेबी ने आईपीओ और राइट्स इश्यू के लिए 1% सिक्योरिटी डिपॉजिट की अनिवार्यता को समाप्त करने का फैसला किया है। इसके अलावा, सेबी ने लिस्टिंग प्रक्रिया के दौरान 1% सिक्योरिटी डिपॉजिट रिलीज करने के लिए नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) की आवश्यकता को भी हटा दिया है। सेबी ने इसके लिए सर्कुलर जारी (SEBI New Rules) भी किया है।
इन्हें होगा फायदा
इस संशोधन से कंपनियों और निवेशकों दोनों को फायदा होगा। अब तक, लिस्टिंग करने वाली कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंजों के पास इश्यू साइज का 1% हिस्सा सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में जमा करना होता था, जिसे बाद में रिफंड कर दिया जाता था। लेकिन अब यह आवश्यकता समाप्त हो गई है, जिससे कंपनियों के लिए आईपीओ लाना आसान हो जाएगा। सेबी ने 21 नवंबर को जारी सर्कुलर में साफ किया है कि इन डिपॉजिट्स को जारी करने के लिए एनओसी की जरूरत को खत्म कर दिया गया है। रेगुलेटर ने एनओसी जारी करने को लेकर पुराना मास्टर सर्कुलर वापस ले लिया है और पिछले नियमों के तहत किए गए डिपॉजिट के पेंडिंग रिफंड को प्रोसेस करने के लिए ज्वाइंट स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) पेश करने को कहा गया है।
पेमेंट और रिफंड में देरी की टेंशन होगी खत्म
सेबी के अनुसार, पब्लिक और राइट्स इश्यू के लिए 1% सिक्योरिटी डिपॉजिट की शर्त का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि कंपनियां निवेशकों की शिकायतों का तुरंत समाधान करें, खासकर रिफंड, आवंटन और सर्टिफिकेट डिस्पैच से संबंधित मामलों में। लेकिन अब डीमैट अलॉटमेंट अनिवार्य होने, ASBA आधारित ऐप्लिकेशंस और UPI पेमेंट मोड जैसे सुधारों के बाद रिफंड में देरी की चिंताएं समाप्त हो गई हैं।
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