BJP POLITICS: भाजपा झारखंड में क्या अब किसी कुर्मी नेता के नेतृत्व में काम करेगी, पढ़िए क्यों उठ रही है यह बात - Newztezz

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Monday, December 2, 2024

BJP POLITICS: भाजपा झारखंड में क्या अब किसी कुर्मी नेता के नेतृत्व में काम करेगी, पढ़िए क्यों उठ रही है यह बात


 झारखंड के विधानसभा चुनाव में पार्टी की हुई हार की सभी कोणों से समीक्षा कर ली गई है. अब यह रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को जाएगी. संकेत मिले हैं कि फरवरी में संगठन में बदलाव होगा. तो सवाल बनता है कि क्या डॉक्टर रविंद्र राय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाएंगे? यह बातें इसलिए उठ रही है कि संगठन में बड़े बदलाव के संकेत हैं .प्रदेश से लेकर मंडल स्तर तक बदलाव किए जा सकते हैं.

फरवरी में भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाएंगे: लक्ष्मीकांत वाजपेई

भाजपा प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेई ने कहा है कि फरवरी में नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा है कि पार्टी सदन में सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभायेगी. सरकार अच्छे काम करती है तो ठीक है, जन विरोधी काम करने पर भाजपा सड़क पर भी जाने में कोई संकोच नहीं करेगी. इस बीच सूत्रों ने बताया कि भाजपा की दो दिनों तक चली बैठक में कुर्मी वोटरों पर भी चर्चा हुई. सूत्रों की माने तो यह बात उठी कि आजसू अपने कोर वोटरों को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त थी. लेकिन वह इसमें असफल रही .ऐसे में भाजपा को कुर्मी वोटरों के लिए अपना नेतृत्व तैयार करना होगा.

लक्ष्मीकांत वाजपेई ने यह भी कहा कि दो दिनों की बैठक में जो निष्कर्ष निकला है. वह पार्टी के लिए भविष्य में मील का पत्थर साबित होगा. कुर्मी वोटो के लिए नेतृत्व तैयार करने के संकेत के कई माने मतलब निकाले जा सकते हैं. वैसे चुनाव के पूर्व डॉक्टर रविंद्र राय को इस भरोसे पर कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था कि उन्हें चुनाव के बाद प्रदेश अध्यक्ष की कमान दे दी जाएगी. चुनाव के पहले डॉक्टर रविंद्र राय को आश्वासन दिया गया था कि उन्हें विधानसभा का चुनाव लड़ाया जाएगा .लेकिन ऐसा नहीं हुआ. फिर वह नाराज चलने लगे. उसके बाद पार्टी के वरीय नेताओं ने उन्हें मनाने की कोशिश की. और उन्हें आश्वासन दिया गया कि फिलहाल चुनाव के वक्त आप कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाल ले .चुनाव के बाद आपको प्रदेश अध्यक्ष की कमान दे दी जाएगी. उस समय तो भाजपा नेतृत्व को यह भरोसा नहीं था कि झारखंड में पार्टी की करारी हार होगी. 2019 से भी खराब प्रदर्शन होगा. लेकिन ऐसा हुआ. कुर्मी वोटरों को भी भाजपा हार के कारणों में गिना रही है. इसके लिए नेतृत्व की खोज करने की बात भी हो रही है. अब देखना है कि फरवरी में संगठन का जब चुनाव नए ढंग से होता है, तो क्या परिणाम सामने आता है.

वैसे प्रदेश के कई जिलों में मंडल अध्यक्षों को लेकर भी चुनाव के पहले खूब राजनीति हुई .धनबाद महानगर अध्यक्ष के मामले में तो मीटिंग से लेकर पुतला दहन तक हुआ. लेकिन चुनाव को देखते हुए पार्टी के वरीय नेताओं ने मामले को शांत करा दिया. अब जब यह बात लगभग तय हो चुकी है कि फरवरी में संगठन में बड़ा बदलाव होगा तो नीचे भी उस बदलाव का असर निश्चित रूप से दिखेगा.

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