Mahakumbh Mela 2025 Fact Date: हिन्दू धर्म में कुंभ के मेले का अपना महत्व है। महाकुंभ 2025 13 जनवरी से शुरू होने जा रहा है। ऐसे में यदि आपको नहीं पता है कि कुंभ का मेला प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में ही क्यों लगता है, जम्मू, मथुरा या ओरछा में क्यों नहीं।
तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर इसके पीछे का कारण क्या है, 2025 में महाकुंभ कब लगेगा, साथ ही जानेंगे कि महाकुंभ 2025 के शाही स्थान की तिथियां क्या हैं।
2025 में महाकुंभ कब लगेगा? (Mahakumbh mela 2025)
आपको बता दें इस साल प्रयागराज यानी इलाहबाद में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ (Mahakumbh 2025 Date) शुरू हो रहा है। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार महाकुंभ के दौरान संगम में स्नान करने से व्यक्ति को पुण्यकारी कर्म की फल की प्राप्ति होती है। आपको बता दें पूरे 12 साल के बाद प्रयागराज में ये महाकुंभ होने जा रहा है। जो 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक चलेगा।
क्या है महाकुंभ के शाही स्नान का महत्व
आपको बता दें हिन्दू धर्म में सभी व्रत त्योहारों की मान्यता है। महाकुंभ के शाही शाही स्नान के महत्व को लेकर कहा जाता है कि इस दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा कहते हैं कि महाकुंभ के दौरान इन नदियों का जल अमृत के समान पवित्र हो जाता है। इस दौरान कुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करेंगे।
प्रयागराज का कुंभ क्यों होता है खास
आपको बता दें वैसे तो कुंभ स्नान का अपना महत्व होता है लेकिन प्रयागराज (इलाहाबाद) के कुंभ मेलो में अपना महत्व होता है। वो इसलिए क्योंकि यहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होता है। धार्मिक मान्यता है कि यहां कुंभ स्नान से लोगों को पुण्य की प्राप्ति होती है।
12 साल में ही क्यों लगता है महाकुंभ का मेला
आपको बता दें हर 12 साल में महाकुंभ मेले का आयोजन होता है। पर ऐसा क्यों आता है यदि आपको नहीं पता है तो चलिए हम आपको बताते हैं। दरअसल इसके लेकर कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं।
ऐसा माना जाता है समुद्र मंथन की पौराणिक कथा के अनुसार कुंभ मेले की उत्पत्ति बताई गई है। जिसके अनुसार जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो अमृत निकला।
इसी अमृत की प्राप्ति के लिए दोनों पक्षों में युद्ध होने लगा। ये युद्ध 12 दिव्य दिनों तक चला। ऐसा माना जाता है कि ये 12 दिव्य दिन पृथ्वी पर 12 साल के बराबर होते हैं। साथ ही ऐसी भी मान्यता है कि मंथन के दौरान अमृत के घड़े से छींटे उछलकर 12 स्थानों पर गिरे थे। जिनमें से चार छींटे पृथ्वी पर गिरे थे। इन्हीं चारों स्थानों पर ही कुंभ मेला लगता है।
12 साल में 12 राशि बदलता है गुरु
ज्योतिष के अनुसार महाकुंभ का संबंध गुरु ग्रह से जोड़कर भी देखा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी नौ ग्रहों में बृहस्पति एक ऐसा ग्रह है जो 12 साल में 12 राशियों का चक्कर लगाता है। कुंभ मेले का आयोजन उसी समय होता है जब बृहस्पति ग्रह किसी विशेष राशि में होता है।
महाकुंभ 2025 शाही स्नान की तिथियां (Mahakumbh 2025 Shahi Snan Dates)
पौष पूर्णिमा 13 जनवरी 2025 को महाकुंभ का पहला शाही स्नान होगा।
मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान होगा।
मौनी अमावस्या 29 जनवरी 2025 महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान होगा।
बसंत पंचमी 3 फरवरी 2025 के महाकुंभ का चौथा शाही स्नान होगा।
माघ पूर्णिमा 12 फरवरी 2025 के महाकुंभ का पांचवा शाही स्नान होगा।
महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025 के दिन आखिरी शाही स्नान होगा।
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