Ajmer Sharif Dargah Survey Case: अजमेर की विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर बीते दिनों से पूरी देश की सियासत में बवाल मचा हुआ है। एक स्थानीय अदालत की ओर से अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वेक्षण का आदेश देने के कुछ दिनों बाद पूर्व नौकरशाहों और राजनयिकों के एक समूह ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने पत्र लिखा है जिसमें अवैध और हानिकारक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए हस्तक्षेप की मांग की।
पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी
समूह ने चिट्ठी लिखते हुए कहा कि,’पूजा स्थल अधिनियम के स्पष्ट प्रावधानों के बावजूद अदालतें बीएससी मांगों पर अनुच्छेद तत्परता और जल्दबाजी के साथ प्रतिक्रिया देती नजर आती है। उदाहरण के लिए एक स्थानीय अदालत का सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की 12वीं सदी की दरगाह के सर्वेक्षण का आदेश देना अकल्पनीय लगता है, जो एशिया में न केवल मुसलमान के लिए बल्कि उन सभी भारतीयों के लिए सबसे पवित्र सूफी स्थलों में से एक है जिन्हें हमारी समन्वयवादी और बहुलवादी परंपराओं पर गर्व है।’ समूह ने दावा किया कि सिर्फ प्रधानमंत्री सभी अवैध ,हानिकारक गतिविधियों को रोक सकते हैं। उन्होंने याद दिलाया कि पीएम मोदी ने खुद 12वीं शताब्दी के संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वार्षिक उर्स के अवसर पर शांति और सद्भाव के उनके संदेश को सम्मान देते हुए चादर भेजी थी।’
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने शिव मंदिर होने का किया दावा
हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने बीते 25 सितंबर 2024 को दरगाह के अंदर एक शिव मंदिर होने का दावा किया। अजमेर की एक सिविल अदालत ने 27 नवंबर को अजमेर दरगाह सीमित केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को नोटिस जारी किया था। जिसके बाद से ही पूरे देश में इसको लेकर सियासत चल रही है।
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